तू है..
तू है यही कहीं..
जानता हूँ, तू है यही कहीं..
दिन दिन गुज़र्ता हूँ जिन राहों से मैं अभी..
खुश होता हूँ सोच के, तेरी भी तो बहूत सी,
याँदे होंगी यही।।
जब जब महसूस करता हूँ, खुद को मैं तन्हा कभी..
हौसला बढ़ा देती हैं, छुप कर देखती हुइ मुझे,
वो आँखे है तेरी।।
मीठी मीठी खुशबू से मचल उठता हूँ, रातौं मे कभी..
वो अहसास ही तो है उस हवा का, जो तेरी सांसो
को छू रही है, हर घड़ी।।
जानता हूँ, तू है यही कहीं..
तू है यही कहीं..
तू है..
क्या बात है युवराज जी….
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धन्यवाद
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Very heart touching👌
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Thank you!
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वाह सर
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धन्यवाद रानी जी। और मैं कोइ सर नहीं हूँ
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